Monday, 28 February 2022

ॐ नमः शिवाय

महाशिवरात्रि के  पावन पर्व  पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
यूँ तो सभी शिवजी  का पूजन अर्चन करतें हैं किन्तु महाशिवरात्रि की अवधारणा विशिष्ट  है।
आध्यात्मिक ज्ञान के आलोक स्तम्भ है शिव बाबा। शिव समस्त शक्तियों के जनक हैं जो भी शक्ति है शिव की ही है। अतएव शिव - शिव का नाम जपन हो, शिव में ही लीन तनमन हो, यही मुक्ति का मार्ग है।
    
ॐ नमः शिवाय
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शिव शंकर भोले भंडारी
विनय सुनो मम त्रिपुरारी
देवों के देव  कहाते तुम
हे विश्वनाथ काशी वासी...

विनय सुनो महादेव कल्याणकारी...

हे ! जगत नियन्ता कैलाशपति
हे ! देवों के देव गिरिजाधिपति
हे ! तांडव कारी रुद्र रूप धारी
अखण्ड- अनन्त जटा गंग धारी...

बिनय सुनो मम त्रिपुरारी......

  व्याघ्र चर्म अंग विराजत
  भुजंग भूषण चन्द्रमुकुट सोहत
  भस्म अंग लगाय छवि मन मोहे
   कर  त्रिशूल  डमरू सोहे.....
    
   विनय सुनो  हे मंगलकारी.....
    
  असुर निहन्ता प्रभु प्रलयंकारी
  परम ब्रम्ह परम धाम परम गति
  गल रुद्राक्ष ,सर्प माल सुशोभित
  अति दयालु तुम जग के स्वामी...

   सुनो विनय हे करुणा कारी.....

  हे आदि अनादि अनन्त अखण्ड 
  वेद पुराण तुम्हरो गुण गावे..
   हे ! आशुतोष शरण मम लीजे
   दीन पुकार सुन उबार मोहि लीजे...

    सुनो बिनय हे ! प्रभु श्मशानी......

     चर अचर जड़ चेतन 
     सबही के नियंता तुम
     हे रामेश्वर ,हे विश्वेश्वर
     हे मार्कण्डेय हे अमरनाथ
    
     सुनो विनय हे शूलपाणी......
    
                    उर्मिला सिंह
    
    
 
 


  






 
 
  


Thursday, 24 February 2022

वक्त....

अपनी तहज़ीब को दिल में बसाए रक्खा है हमने।
नफऱत के काँटों से ख़ुद को बचाये रक्खा है हमने।।

नजरों में तेरे गैर सही मुझे इसका कुछ गिला नही।
तकदीर तेरे सामने सिर को झुका दिया है हमने।।

जीने वाले तो मर मर के जीते हैं इस जहां में
जो गुज़री है हम पर हँस के गुजारा है हमने।।

सूखी रेत हाथों से फिसल  जाती है दोस्तों
रिस्तो में नमी की कोशिस बारहा किया है हमने।।

वक्त पर गुरुर मत कर वक्त मौन है गूंगा नही
अपना पराया वक्त को बताते देखा है हमने।।

               उर्मिला सिंह




Wednesday, 2 February 2022

नव युग के विकास मेंहम बहुत कुछ भूल गये....

इस रंग बिरंगी दुनिया में 
क्या क्या बिसर गये हम

बिसर गये शब्द सभी
जिसको सुन बड़े हुए
बिसरे दुवार,आंगन,
और नरिया थपुवा सभी।

इस रंग विरंगी दुनिया में
क्या क्या बिसर गये हम

बिसर गये अनरसा खाझा
बिसरे पानी से भरी गगरी
बिसर गई दीवाली की दिया 
जिससे खेला करते हम कभी


इस रंग बिरंगी दुनियां में
क्या क्या बिसर गये हम।

बिसर गये साझ भिनसार
बिसर गया तुलसी का चौरा
बिसरी दूधिया पटरी और पचारा
दूना तीस तियां पेंतालिश का पहाडा।।

इस रंग बिरंगी दुनिया में
क्या क्या बिसर गये हम

 कबड्डी,गुल्ली डंडा स्वप्न हुवे
गुड्डा गुड़िया की शादी भूल गए
 बाग बगईचा कोइलिया भूले
भुट्टा के खेत का मचान भूल गए।।

   इस रंग बिरंगी दुनिया में
    क्या क्या बिसर गये हम

लरिकैईयाँ की धमाचौकड़ी भूले
भूले चरखे वाली नानी
लालटेन ढिबरी भूलगये
भूलगये हम रात सुहानी..।।

इस रंग विरंगी दुनियां में
क्या क्या बिसर गये हम

कड़ाहे के गुड़ का चिंगा भूले
भूल गए कुएं का ठंढा पानी
खटिया मचिया मिट्टी का चूल्हा भूले
भूल गए संस्कारों की बातें सारी।।

इस रंग विरंगी दुनियां में
क्या क्या बिसर गये हम

भूल गए इनारे का पानी
मचिया खटिया भूले गये
करौनी गट्टा भूल गये
बिसरी चीनी की घोड़ा हाथी।।

इस रंग विरंगी दुनियां में
क्या क्या बिसर गये हम

कुछ शब्द  हेराय गया 
कुछ  हमने हेरवाय दिया
इस रंग बिरंगी दुनिया ने
पहचान छीन सभ्य बना दिया।।

इसरंग बिरंगा दुनिया में 
हम क्या से क्या होगये।

क्या बतलायें क्या क्या शब्द भूल गये
माई बाबू भौजी,नईहर शब्द भूल गये
पापा मम्मी,अंकल आंटी में रिश्ते सिमटगये
जीन्स स्कर्ट पहन जेन्टल मेन अब बनगये।।

इस रंग बिरंगी दुनियां में
हम क्या से क्या होगये।।

    उर्मिला सिंह