Friday 12 October 2018

गरीबी की व्यथा......

गरीबी की मौन व्यथा बच्चों के आँखो से झलकती है........

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नवरात्रि आते ही आँखें चमकने लगी,
हमारी भी पूजा होगी आश बंधने लगी!
दो दिन सुखी अंतड़ियों को राहत मिलेगी
हम गरीबों को भी हलवा -पूरी मिलेगी!!
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                                 🌷ऊर्मिला सिंह

Thursday 11 October 2018

छत से छत जब अलग होने लगी
दिलों में दूरियाँ तभी से बढ़ने लगी!

प्यार की छत  को  तरसता आदमी,
प्यार में भी अब मिलावट होने लगी!
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                                    🌷 ऊर्मिला सिंह

तन्हाइयाँ...

जब से तन्हाइयों में जीने का सलीका आगया ,
तब से खुद को पहचानने का तरीका आगया!!

खामोश लबों की भी अपनी कहानी होती है
जिन्दगी जीने कि येअदा भी निराली होती है!
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                                        🌷ऊर्मिला सिंह

संवेदना...

आज के युग में सम्वेदनाओं का आभाव होगया है इसी भाव को दर्शाती रचना......
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सम्वेदनाओं के शब्द से दिल पिघल जाता है !
तसल्ली  पा आँखो से अश्क  ढुलक  जाता है !
रंग बदलती दुनियाँ में सम्वेदना मिलना मुहाल हुवा
आदमी हर वक्त ख़ुद में परेशान नज़र आता है!
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                                    🌷ऊर्मिला सिंह


Sunday 7 October 2018

वो दिन कभी तो आयेगा.....

समाज की व्यवस्था से दुखी मन कराह उठता है
नित्य मर्यादाओं का उलंघन,राजनीति का गिरता स्तर वाणी में मधुरता का आभाव जाने कहाँ जारहें हैं हम।
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वो दिन कभी तो आयेगा.......!
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जब मुकुट पहने संवेदनाओं के..
स्वर्णिम बिहान झांकेगा...!
आशा,संकल्पों के दिव्य ज्ञान से..
मानव स्वयम को समझ पायेगा!
वो दिन कभी तो आएगा ....!!

क्षुधित ,पीड़ित मानव को राह दिखायेगा...
अहंकार को भेद,प्रेम संदेशा दे जाएगा..!
निर्मल मधुर सपने साकार होंगे...
मर्यादा स्वाभिमान की सोच का विस्तार होगा..!
वो दिन कभी तो आएगा......!!

नारी की इज्जत जब सड़को पर न नोची जाएगी..
अधखिली कलियाँ न मसली जाएंगी..!
ह्रदय में करुणा प्रेम का इंद्रधनुषी रंग बिखरेगा..
जब दुख का हिम पिघलेगा अम्बर झूम के नाचेगा !
वो दिन कभी तो आयेगा....!!

प्रीत का गठबंधन इन्सान के दिल से दिल का होगा.
पल्लवित पुष्पित हर घर  का कोना कोना होगा..!
किसानों के कन्धे पर कर्ज का न कोई बोझ होगा..
वाणी में संयम,धैर्यता,स्थिरता का भाव होगा..!
शहीदों की कुर्बानियों का यही एक उपहार होगा
वो दिन कभी तो आयेगा..........!!
वो दिन कभी तो आएगा..........!!
                          
                                         🌷ऊर्मिला सिंह



Wednesday 3 October 2018

प्रेम......

प्रेम जीवन का सार हैऔर जीवन का अनुभव भी
प्रेम समय,स्थान की दूरियों को मिटा देता है।भक्ति मार्ग में  प्रेम रस में डूब इंसानपरमात्मा से प्रेम की लौ लगा बैठता है।
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जिन्दगी और कुछ भी  नही प्रेम  की  कहानी है!
अश्कों की स्याही  से  लिखी  दर्द की रुबाई है!!
गमों में भी मुस्कुरा कर इश्क तेरी कीमत चुकाई
उम्र-ए इश्क की तासीर में  क्यों  लिखी जुदाई है!!
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                                            🌷ऊर्मिला सिंह