Wednesday 27 April 2022

जिन्दगी के कुछ उसूल...

बात- बात पर रूठा न कीजिये।
 झूठे वादों से तौबा किया कीजिये।।
 फ़ुरसत के लम्हों में आत्ममंथन करें।
जिन्दगी आसां बना जिया कीजिये।।

जितनी हो चादर उतना ही पांव फैलाइये 
ख्वाब दफ़न नही साकार किया कीजिये
चाँदनी रात या हो अमावस की रात....
हरपल के तज़ुर्बे से खुशियां मनाईये।। 

शब्द बोलने से पहले  सोचा तो कीजिये
किसी के दर्द का कारण न बना कीजिये
इन्सान अच्छे मिलतें हैं कहाँ इस जहां में
स्वयं को इंसान बना मिला कीजिये।।

हिलमिल  बैठ के प्रेम  गीत गाया कीजिये
मीठी मीठी बातों से मन बहलाया कीजिये  
हर दर्द की दवा दवाखानों में ही नही ........
कभी दोस्तों की महफ़िल में भी बैठा कीजिये।।

               उर्मिला सिंह










Wednesday 13 April 2022

नारी मनोव्यथा.....

नारी मनोव्यथा 
किसने है समझी
आंसू गिरवी हैं यहां
मुस्कानों का ठौर नही
अगणित घाव चिन्ह 
उफ़ करने का अधिकार नही...
 ऐसे जग में नारी.......
 कैसे पाए सम्मान यहाँ।।
 
संस्कारों के बन्धन से 
बंधी है काया......
अगणित ख्वाबों का ,
बोझ उठाये......
महावर लगे 
कदमों से
नव ड्योढ़ी 
नव आंगन
में ज्योति जलाए
सुखमय जीवन के....
सब दस्तूर निभाये ।।

पर विधिना ने गढ़ी
कुछ और कहानी 
कर्तब्यओं की 
संगीनों पर....
अधिकार निष्प्राण 
 आदर्श खण्डहर हुए...।
 
  कभी कभी....
 स्मृतियों की लुकाछिपी
 नयन तरल कर जाती
 निमिष मात्र भी 
 हृद पट से अदृश्य
 नही हो पाती।।
  सुधियों की उर्मि
 जीवन तट को छू जाती
 अधरों पर  मृदुल.....
 हास की भूली बिसरी
 रेखा खिंच जाती।।
 
 लोगों की कहावत
 झूठी लगती
 "खाली हाथ आये 
 खलिहाथ जाएंगे"
 अंत समय मे तो
 कुछ कही अनकही
 व्यथा संग लिए जाएंगे।।
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  उर्मिला सिंह



 

Saturday 2 April 2022

नवरात्री पर गीत

नवरात्रि के नव दिनों में माता अवतरित हो कर समस्त सृष्टि को अपने आशीर्वाद से सिंचित पल्वित करती है ,मां अदृश्य होती हैं पर भक्ति श्रद्धा उनके कोमल चरणों में होतो आसपास महसूस होती हैं।
  
मईया की बाजे पैजनियाँ
मईया ...मेरे घर में पधारी
कृपा की बरसे बदरिया
मईया मेरे घर में पधारी.....

रंगोली सजाऊँ  मईया चौक पुराउं
फूलन से सजाऊँ घर दुवरिया
मईया ...मेरे घर में पधारी....

पान सोपाड़ी ध्वजा नारियल
निबिया की  बहे  ठंढी बयरिया
मईया ....मेरे घर में पधारी

आसन सजाऊँ पांव पखारु 
महावर लगाऊं लाली लाली
मईया .....मेरे  घर में पधारी

लाल हरी चूड़ियां पहनाऊं
चुन्दड़ी उढाऊँ लहरेदार
मईया मेरे....घर में पधारी

                       
काजू किशमिश सेभोग बनाऊं
हलुवा पूड़ी से थाल सजाऊँ...
कंचन थार में दीप जलाऊं 
मईया ....मेरे घर में पधारी

आशीष देवें मईया भरि भरि अंचरा
अचल सोहाग जैसे गंगा क धरिया
चरणा देखी सुख पाऊं

 मईया..... मेरे घर मे पधारी

           उर्मिला सिंह