Sunday 26 September 2021

मन की बातें .......शब्दों के सहारे...

मन की बाते.. शब्दों के सहारे......
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राजनीति में कोई किसी का दोस्त नही होता है
हर  किसी में  अहंकार का तूफ़ान मचलता है
ये खेल राजनीति का चल रहा  सदियों से......   
पूज्य हैं जो,उनका गालियों से सम्मान होता है।।

कर दिया दफ़न ज़मीर को  नेता बन गये
प्रवचन देने लगे साधू फ़कीर महात्मा बन गये
चुनाव आते ही नेता जनता के इर्द- गिर्द घूमते
राष्ट्रभक्ति का राग गुंडे भी अलापने लग गये।।

सब्र बड़े सवाब का काम होता,हर पश्न का ज़वाब होता ,
हर काम का अन्दाज लगता,पर सब्र के सवाब का अंदाज नही होता ,
सब्र करने वालों पर प्रभु की रहमत बरसती....
सब्र श्रद्धा,भक्ति जीवन  का मूल मंत्र होता है।।

सत्य  ईश्वर से परिचित कराता ,सत्य जीवन को
खुशियों से भरता
सत्य शान्ति का पाठ पढ़ाये,सत्य वक्त का मरहम होता है।
सत्य पर अडिग रहो सत्य ही सही राह दिखाता
सत्य को भूलो नही सत्य ही ईश्वर सत्य ही ईमान होता।।
                
                   उर्मिला सिंह।










Wednesday 22 September 2021

सांसों पर पहरा नही अच्छा होता ....

सांसों पर पहरा नही अच्छा होता है
दर्द नासूर बन जाये कहाँअच्छा होता है।।

पत्थरों से सिर टकराने से फायदा क्या...
यहां इंसानियत खुदगर्ज़ इन्सान बहरा होता है।

हर गली कूचों  में सैय्यादों का डेरा है,
सुनहरे पिंजरे में बैठाने का वादा होता है।

पत्ते-पत्ते,कण कण पर जीवन वेद लिखा है
ह्रदय की करुणा में भगवान रहा करता  है ।

 सुख क्षणिक दुख लम्बा  लगता है 
 सत्कर्म  करो जीवन सुखद लगता है।।

फिज़ाओं में मोहब्बत की खुशबू घुली हो,
पत्ता-पत्ता बूटा-बूटा मुस्कुरा उठता है।।
                 उर्मिला सिंह


 






Saturday 11 September 2021

बमों बारूद के ढेर पर बेठा जमाना है....

जख्मों की इन्तिहा अब होगई
जिन्दगी भी एक इम्तहान होगई।।

 इंसान ही इंसान पर जुल्म करता है
 जहां में प्रभु अब रक्तबीज पैदा करता है।।

होशियारों,फरेबों का बोलबाला है
इंसानी सभ्यता संस्कृति केवल एक बहाना है।

हिटलर से भी ऊंची पदवी मिल गई जिनको
तलवार की नोक पर उनके ज़माना हैं।।

हर जिन्दगी  बमो बारूद के ढेर पर बैठी है
विज्ञान के चमत्कार का विश्व दीवाना है।

           उर्मिला सिंह