Sunday 31 January 2021

गजल

जिन्दगी तुम मुझे यूं ख़्वाब दिखाया न करो
तिश्नगी है बहुत उजालों की आस दिलाया न करो।।

 करूं शिकवा भला कैसे शिकायत हो गई जिन्दगी
 मलहम भी कांटो की नोक से लगाया न करो।

 हिय की व्यथा मौन रखना लाज़मी होता है
 जिसे गुलशन समझा उसे सहरा बनाया न करो।

 उल्फ़ते -- सुकून कहते किसे अनजान रहा सदा
 बहारों में पतझड़ को कभी मुस्कुराने दिया न करो।

वक्त के दिए जख्मों का  क्या हिसाब दू जिन्दगी
तिनका तिनका सा अब यूं बिखराया न करो।

                     उर्मिला सिंह   





 

 

Tuesday 26 January 2021

बन्दे मातरम

जब हम मना रहे गणतंत्र दिवस थे
अम्बर छू रहा तिरंगा था
हर भारतवासी का मस्तक
भारत के गौरव से ऊंचा था।

पर गिरी गाज इक ऐसी
शर्मिंदा दसों दिशाएं हुईं
जोअन्नदाता  कहते थे अपने को
राष्ट्र प्रेम किंचित मात्र नहीं था उनको।।


उपद्रवी किसानों ने ऐसा खेल खेला
तार तार हुई धरा लालकिला रोया
अपनों ने ही छाती पर वार किया
फूट फूट कर मां भारती का दिल रोया।।

पर चाल नहीं चलने पाएगी
मुठ्ठी भर देश के गद्दारों की
अखंड भारत अखंड  रहेगा
 राष्ट्रप्रेम सर्वोच्च है जीवन में
 बच्चा,बच्चा तुझपर कुर्बान रहेगा।।
          उर्मिला सिंह

              बन्दे मातरम











Saturday 16 January 2021

देश तुम्हारा है सरकार तुम्हारी है.....

देश तुम्हारा है सरकार तुम्हारी है...
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अपनी ढपली अपना राग ,वैमनष्य का बीज बोना है
किसान महज़  बहाना  है सत्ता की कुर्सी  निशाना है
सुलझाने की कौन कहे उलझाने वाले बैठे बहुतेरे यहां
हर कार्यों में नुक्स निकालो विपक्ष का यहीं याराना है।

मौका परस्त ,बबूल के कांटे जैसे फैल रहे हिन्दोस्तान मे
मर्यादाहीन शब्दों के नारे लगते अन्नदाताओं के दरबार में
जिद्द की आड़ ले मख़ौल उड़ाते सरकार और कोर्ट का..
कोई तो पूछो  ऐसे अन्नदाता हुए कभी क्या इस देश में।

विचारोंमें  शुद्धता  विनम्रता भारत देश की पहचान है 
अन्नधन से भरता देश का भंडार वह देश का किसान है
शतरंज की बाजी बिछाए हारजीत का खेल चल रहा यहां...
सर की चम्पी पैर की मालिश क्या किसान करवाता यहां?


अधिकार है धरना देना तो कर्तब्यओं का भी निर्वाह करो
 दुहाई  प्रजातन्त्र की देते हो तो बच्चों जैसा अड़ना छोड़ों
 देखो समझो बात करो सरकार तुम्हारी है देश तुम्हारा है 
 भारत माँ का गौरव धूमिल हो मत ऐसा कोई काम करो।।

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                         उर्मिला सिंह





Wednesday 13 January 2021

मकर संक्रांति....

आप  सभी  को  मकरसंक्रांति  की बहुत बहुत बधाई
तिल गुड़ के लड्डु,खाकर पतंग  उड़ाओ बहनों भाई
पर्व बड़ा अलबेला है नास्ता दूध दही अरु चिवड़ा है
खाने को मिलती खिचड़ी संग में पापड़ दही और चटनी।।

बिहू लोहडी मकरसंक्रांति और पोंगल अनेको इसके नाम 
इसी लिए तो कहा गया है विविधता भरा भारत देश महान
तिल गुड़ की खुशबू याद दिलाती हमको अपना प्यारा गांव
एक दूसरे के साथ चल पड़ते सभी प्रातः करने गंगा नहान 

इंद्र धनुष सा अम्बर रंग बिरंगी लहराती तितली सीपतंग
अन्नदान करता किसान खुशयों का वैभव मुस्काताआँगन
तिल गुड़ की मीठास घुलजाये हिंदुस्तान के कोने कोने में
द्वेषभाव भूल गले मिले प्रफुलित, समृद्ध रहे भारत वर्ष ।।
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                     उर्मिला सिंह

                         

Thursday 7 January 2021

आज की सच्चाई ----बोलती कलम

आज की सच्चाई---बोलती कलम

विवेक पर अविवेक का आधिपत्य होता जारहा है
सत्यता पर असत्यता अभिशाप बनता जारहा।

भौतिकता की तपिश मेंआत्मीयता जलती जारही
संवेदनाओं से सिसकियों का स्वर सुनाई पड़ता जारहा ।

बेशक इन्सान ने तरक्की बेहिसाब किया है
सरलता सादगी भोलेपन से दूर होता जारहा ।

बहुजन हिताय ,स्वान्तः सुखाय हो गया अब
वोट हासिल करना एकमात्र ध्येय होता जारहा

इन्सान निर्ममता की पराकाष्ठा पर पहुंच गया
हैवानियत के सांचे में ढल बर्बरता अपनाता जारहा।।

लालच ,अभिमान की केंचुली ऐसी चढ़ी पर्त् दर पर्त्
भले बुरे का भान नही ,ख़ुद की जड़े खोदता जारहा।।
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                     उर्मिला सिंह














   


Saturday 2 January 2021

भावों,शब्दो से बना........" गुलदस्ता -ए-गज़ल"

 गरीबों से मोहब्बत भगवान की इबादत है
 मां बाप की दुवाएं जिन्दगी की अमानत है।।

  अपने स्वाभिमान को सर्वदा जगाए रखना
  जन्मभूमि की मिट्टी का कर्ज अदा करते रहना।।

  उजाले बाटने की ह्रदय में सदा  चाहत रखना
  इंसानियत का यही उसूल है जहां को बताते रहना।

  मोहब्बत की खुशबू से दिल को सजाये रखना
  तन्हाईयों को उन्ही यादों से गुलज़ार करते रहना।।

  उम्र भर दिलों को जीतने की हसरत रहे 
  नफ़रतों के नही, मोहब्बत के जाम छलकाते रहना।

  कोइ मज़हब नही सिखाता कत्ले आम करना
  ख़ुदा के बन्दे हैं सभी बन्दगी का पैगाम देते रहना।।

  गुनाहों के अंधेरों को हटाओ दिल आईना बन जाए
  शांति सुकून सौहार्द की मशाल देश में जलाते रहना।।
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                     उर्मिला सिंह
  

 
  
  
 

Friday 1 January 2021

नव वर्ष20-21

जल थल नभ में हुंकार भरे भारत के रणबाँकुरे नव वर्ष में
सींमा पर दुश्मनों के होश उड़ा दें देश के जवान नव वर्ष में
शान्ति सौहार्द प्रेम की गंगा बहें लहराए झंडा तिरंगा शान से
देशभक्ति सर्वोपरि हो जन जन केह्रदय में सर्वदा नववर्ष में।

                      उर्मिला सिंह

नव वर्ष20-21

तम  को  चीरता  नव  वर्ष आया
धरा पर किरणों ने रंगोली सजाया।

उल्लसित हैं दिशाएं.....
चहुं ओर आल्हाद छाया
अभिनन्दन नव वर्ष,नव उजास आया।

तम को चीरता नव वर्ष आया....

खड़ा नव वर्ष बांहें  फैलाये
नव उमंग नव आशाये लिए
पीछे मुड़ के देखना क्या....

सभी का नव चेतना से शृङ्गार करने
तम को चीरता देखो नव वर्ष आया।।

मायूसियों को छोड़ आगे बढ़ो
नई चुनौतीया संघर्ष है सामने
सपने साकार करने का वक्त आया

नई जिज्ञासाएं लिए नव वर्ष आया
तम को चीरता देखो नव वर्ष आया

दिलों से नफ़रतों का साये हटें
मोहब्बत से लबरेज़ दिल रहे
धानी चुन्दर पहन लहलहाएे धरा 

यही अभिलाषा लिए नव वर्ष आया
तम को चीरता देखो नव वर्ष आया

नेताओ में राजनीति के गलियारे में
सुचिता पारदर्शिता का माहौल बने
देश के नव विकास में सभी सहयोगी बने

यही सन्देश लेकर  नव वर्ष आया
तम को चीरता देखो नववर्ष आया


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                     उर्मिला सिंह