Saturday 29 May 2021

प्रथम.... पाती

प्रथम  -  पाती ....!!

पात पात हर्षित....
मन- सुमन खिल उठे !
प्रिय! पढ़ी जब हमने प्रथम पाती तुम्हारी... !!

बिन बसन्त के मन,
हो बसन्ती झूमने लगा !
ह्रदय उद्गार पवन संग.. सन्देश भेजने लगा..!
अधखिली कलियाँ भी अंगड़ाई  लेने लगीं...!!

प्रिय!पढ़ी जब हमने प्रथम  पाती  तुम्हारी ...!!

प्रेम पिपासा अधरों पे आकुल...
वीणा बजाती यामनी हो के व्यकुल...
मिलन के स्वप्न उनींदी आंखें सजाती...!

प्रिय!पढ़ी जब हमने प्रथम पाती तुम्हारी ...!!

शब्द-शब्द  प्रीत रंग में रंगने लगे...
शून्य में खोए सुर,आलाप 
आज फिर से स्वर साधने लगे.......!

प्रिय ! पढ़ी जब हमने प्रथम पाती तुम्हारी ...!! 

बदली नज़र आने लगी दुनियाँ ये सारी....
बजती हो जैसे चहुँओर शहनाई...
सांसों में कम्पन,धड़कने रुकने लगी.....!

प्रिय!पढ़ी जब हमने ,
प्रथम पाती तुम्हारी ...!! 
 
          ....उर्मिला सिंह

Thursday 27 May 2021

हरी भरी बसुन्धरा.....

हरी भरी बसुंधरा नीला आसमाँ है जहां
गीता, रामायण , कुरान, गुरुग्रंथ है जहां
हरी भरी धरती लाज है हिंदुस्तान की........
कौरवों की मन मानी चलने न पाए यहां।।

ईर्ष्या द्वेष से संक्रमित आज की राजनीति
कोविड महामारी में नेता करने लगे विरोध नीति
दुष्प्रचार का झंडा घुमा रहे हैं देश विदेश 
ग्रसित सत्ता रोग से  पीड़ित  विपक्षी हस्तियां
इनके लिए होनी चाहिये नई फड़कती दवाइयाँ।

कोविड विपदा दूर होगी रक्खो विश्वास सभी
हिम्मत हौसला विश्वास,बढाओ अपनों में सभी 
एक, अकेला थक जाएगा मिल चलना होगा 
मातृभूमि की मिट्टी से तुमको वादा करना होगा 
सर्वोपरि राष्ट्र हित,देना होगा देशवासियों साथ।
आज नही तो कभी नही आएगा ये मौका हाथ। 
           
                 उर्मिला सिंह
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Tuesday 25 May 2021

कोविड 19 तुम इतने बेशर्म क्यो......

हे कोविड महाराज,
बिन बुलाए मेहमान
अब तो करो प्रस्थान
दाना पानी सब चुक गया
बेबस हुआ अब इन्सान ।
कितनी ख़ातिर किया तुम्हारी
कितने इंजेक्शन  लगवाए
विदेशों  में भी  सरकार ने
तेरे खातिर इंजेक्सन भिजवाए
पर विपक्षी दलों को
 बसुदेव कुटुम्बकम भाव नही भाए।

मास्क, दूरी , हाथ धो- धो कर 
जीना हो गया अब  तो  दूभर
हाथ जोड़ विनती करू तेरी
अब तो पिंड छोड़ो  हम सबकी
क्या इतने आदर से भी 
तेरी प्यास नही बुझती !

भाई - बन्धु , नाती -पोते
फंगस -उजला,काला, लाल, पीला 
बुला रहे बेशर्मी से सबको
वंशवाद को बढ़ावा देते हो -
अब तो निर्मम बख्स दे हम सब को ।

 पर  ये याद सदा रखना
 देवों की यह धरणी है
 विनाश तेरा निश्चित है
 गर्दन मरोड़ , चिकित्सक
 सही जगह तुझको पहुँचाये गा
 कितना भी हांथ पांव मारेगा
 वक्षस्थल  चीर , खून तेरा पीने
 एक बार फिर नरसिंह अवतार आएगा ।।
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                        .....उर्मिला सिंह


 

Friday 21 May 2021

कर्म ही तेरी पहचान है

कंटकमय पथ तेरा सम्भल सम्भल कर चलना है !
चलन यही दुनिया का पत्थर में तुमको  ढलना है! 

उर की जलती ज्वाला से  मानवता जागृत करना, 
जख्मी पाँव से नवयुग का शंखनाद करना है !!

 हरा सके सत्य को हुवा नही पैदा जग में कोई
असत्य के ठेकेदारों का,पर्दाफास तुझे  करना है !

वक्त से होड़ लगा पाँवों के छाले  मत देख !  
कर्मों के गर्जन से देश को विश्वास दिलाना है

दृग को अंगार बना हिम्मत को तलवार ......
दुश्मन खेमें में खलबली हो कुछ ऐसा करना है !!

तुम सा सिंह पुरुष देख भारत माँ के नयन निहाल
कोहरे से आच्छादित पथ, कदम न पीछे करना है 

मिले हुए शूलों को अपना रक्षा कवच बनाना है 
कर्म रथ से भारत का उच्च भाल तुझे करना है !!

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                      🌷उर्मिला सिंह
                                               








Wednesday 19 May 2021

कृष्ण के दीवाने हो गये.....

गीता पढ़ना तो विगत कई सालों से था परन्तु उस भाव से नही बस......पढ़ना है -थोड़ा ज्ञान में वृद्धि करने के लिए....
             पर पढ़ते- पढ़ते न जाने कौन से भावों में दृढ़ संकल्पित हो कर पढ़ने लगी ,मुझे पता ही नही चला । किसी भी चीज की गहराई में जब हम जातें हैं कुछ भाव मन में उठते हैं जो आनन्द दायीं महसूस होतें हैं ।
             वही भाव आप सभी के समक्ष रख रही हूँ....
                       ******0*****

कृष्ण सोच में....
कृष्ण भाव में
कृष्ण शब्द शब्द में रचे
कृष्ण ह्रदय में
कृष्ण नयन में
कृष्ण धड़कनों में रम गये।।

कृष्ण जिह्वा पे....
कृष्ण रोम रोम में....
कृष्ण को निहारते ...
कृष्ण को पूजते......
कृष्ण के दीवाने होगये.....।।

कृष्ण कर्म प्रवाह में.....
रवि के प्रखर पकाश में
चन्द्रिका की चांदनी में....
गोपियों के रास में....
कृष्ण बांसुरी की तान में....
कृष्ण से सम्मोहित जन - जन होगये.....।।

कृष्ण गीत में ...
संगीत में....
राधिका के नि: स्वार्थ प्रीत में...
मीरा के  सरल भक्ति में...
गोपियों के हास में परिहास में
कृष्ण यमुना के नीर में
कृष्ण कहते-कहते प्रेममय होगये....।।

द्रौपदी के चीर में
देवकी की पीर में
यसोदा के ममत्व में
कण-कण में व्यप्त कृष्ण....
भाव में विभोर.....
नयनअश्रु ढरक गए.....
कृष्ण कहते कहते कृष्णमय होगये।।
        💐💐💐💐

          उर्मिला सिंह




 

Sunday 16 May 2021

ऐसी कुछ नेकी करो.....

ऐसी कुछ  नेकी करो,जान न पाये कोय,
साक्षी दीनदयालु हों,घट- घट वासी जोय।।

मीठी वाणी कष्ट  हरे,कड़वी तीर समान।
काँव-काँव कौवा करे, करे न  कोई मान।।

करुणा ह्रदय राखि के,करियो सगरे काज,
 अन्तर्यामी देख रहा,वही रखेंगा लाज।।

काम क्रोध मद मोह में,फँसा हुवा संसार,
इनसे मुक्ति कैसे मिले,दिखे न  कछु आसार।।

गृहस्थ धर्म  कर्म है,करो कर्म दिन रात,
सुमिरन मन करता रहे,इतनी मानो बात।।
             ******0******
                             उर्मिला सिंह

         

Friday 14 May 2021

राघव नाम की महिमा.....

राघव नाम की महिमा,गाओ सुबहो शाम,
हरि कृपा तुझे मिलेगी,कष्ट हरेंगे राम।।

प्रभुनाम ताबीज है ,ह्रदय बांधलो गाँठ,
पतझड़ बसन्त वही हैं,याद रहे ये पाठ।।

तेरा मेरा कुछ नही, जीवन है उपहार
इंसानियत ह्रदय बसे,रखना यही विचार।।

सुख दुख में सम रहे,हिय में रहें न 'मैं' भाव
सद्गुणों को उन्नत करो,मन में रख सद्भाव।।
  
 प्रेम प्रीत की चादरी,ओढ़े जब इंसान
 राग द्वेष सब भूल गये उपजा हिय में ज्ञान।।
           💐   💐    💐     💐
                                  उर्मिला सिंह
                  


   

























Wednesday 12 May 2021

अदृश्य शत्रु.......

बेवज़ह घर से निकला न करो
हवाएं क़ातिल हैं समझा करो
मुख पे पर्दा दूर -दूर रहा करो
हवाएं कातिल हैं समझा तो करो।।

दुश्मन बड़ा निर्मम चलाक है दोस्तों
आगोश में लेने को हवाओं में छुपा है
तुमभी चलाकी से रहा करो दोस्तो
हवाएं कातिल हैं समझा तो करो।।

हाथ धोते रहो साबुन से दोस्तों
गरम पानी का सेवन किया करो
गिलोय जूस पी-के इम्युनिटी बढ़ाया करो
हवाएं कातिल हैं समझा तो करो।।

वेक्सिनेशन में देरी न किया करो
भस्मासुर को भस्म करने युक्ति करो
अपनो को अपनो से जिसने दूर किया
कोविड की आखिरी सांस का क्रिया कर्म करो
हवाएं कातिल है समझा तो करो दोस्तों।।1क

अदृश्य शत्रु को भगाना ही होगा दोस्तों
मिल जुल के दर्द को पीना ही होगा दोस्तों
फिर सुनहली भोर की किरणें मुस्काएँगी
जिन्दगी फिर से गुनगुनायेगी दोस्तों।।

एकता की शक्ति से दुश्मन को हराना है
उम्मीदों की दिया से कोविड को जलाना है
नेताओं के अनर्गल प्रवाह में न आना दोस्तों
अन्तर्मन की शक्ति से सभी को जगाना है
फिर वही त्योवहार की खुशिया मनाना है।।
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                        उर्मिला सिंह




Saturday 8 May 2021

'माँ'

     माँ.....

ममता का अथाह सागर है तूँ
संवेदना भावना की मूरत है तूँ
वर्षा की ठंढ़ी बयार सी .....
सन्तप्त तनमन पर शीतलता की फुहार है।।

माँ शब्द गरिमामय प्रेममय होता है
जिसने माता कहकर पुकारा....
न्योछावर उसी पर हो जाता है 
तभी तुझे ईश्वर का रूप कहा जाता है।।

हे !जन्म दात्री हे!संस्कार दात्री ....
तेरा स्पर्श,मीठी बोली मन को साहस देता
आज भी जीने की ऊर्जा तुझसे मिलती है।
नही है तूँ ...फिर भी आसपास लगती है।।

तेरा प्यार त्याग समर्पण और दुलार
शब्दोँ में बांध नही पाता मन लाचार
अश्रुपूरित नयन शत शत नमन करतें हैं
तेरे अनमोल आशीष सदैव रक्षा करते हैं।।

          उर्मिला सिंह



Friday 7 May 2021

जिन्दगी चन्द सांसों का खिलौना है..

जिन्दगी चन्द सांसों का खिलौना है
कदम  कदम  पर करना यहां  समझौता है

खुशियां गिरवी होती हैं वक्त के हांथों में
इंसा सुख दुख के ताने बाने में उलझा रहता है।

एहसासों की कीमत कौन यहां समझता है
आँसूं खारे पानी सा जम जाया करता है।।

 टुकड़ों में बटी जिन्दगी को जीना कहतें हैं
जीवन पल पल के घावों को समेटा करता हैं।।

जिन्दगी कर्ज है जीने का,चुकाना है इसे यहीं 
गीली आंखों के सपने अंचल में समेटा करता है।।
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                  उर्मिला सिंह










Tuesday 4 May 2021

बीते हुवे लम्हों.......

बीते हुए लम्हो जरा लौट के आजाना
अधरों की खोई मुस्कान लिए आजाना।।

खुशियों से भरी महफिल 
हंसते दिन  हँसती राते 
शामों की रंगीन झलक दिखला जाना
बीते हुवे लमहों ज़रा लौट के आजाना।।

माना गम की धूप है छाई.....
जीवन में रिक्तता भर आई
अम्बर से आशाओं की बारिष कर जाना
बीते हुवे लम्हो जीवन रंगीन बना जाना।।

धीरज की बाती से दीप जला
होगा फिर सूरज का उजाला
खिलती कलियां भौरें की गुन-गुन देजाना
बीते हुवे लम्हों ज़रा लौट के आजाना

फिर त्योहारों की धूम मचे
फिर खुशियों की रंगोली सजे 
घण्ट,शंख की पावन ध्वनि सुना जाना
बीते हुवे लम्हे ज़रा लौट के आजाना।।
बीते हुए लम्हे ज़रा लौटा के आजाना।।
      💐******💐*******💐
            उर्मिला सिंह
















Saturday 1 May 2021

सन्नाटा.....

दुख दर्द तबाही से जी घबड़ाता है
सन्नाटों की चीखों से मन अकुलाता है
तबाही  का ये आलम क्षण-क्षण....
जीवन से दूर बहुत दूर ले जाता है।।

धर्म कर्म की बातें अब नही लुभाती
हाहाकार,रुदन का रौरव धरा हिलाती है
सूर्य किरण में आभास क्रंदन का दिखता है
चाँद सितारों की बातें फीकी लगती हैं।।

मानवता की कौन सुने दुहाई  यहां
दानवता का तांडव  हो रहा यहां....
वेक्सीन की कीमत हुई हजारों के पार 
वैक्सिन,ऑक्सीजन पर हो रहा संग्राम।।
असहाय,बेबस दिख रहा यहां  इंसान ।।

फिर भी उम्मीदों की डोर अभी सांसों में हैं
आशाओं का सम्बल  हिय के तारों में है
ऐसा कोई चमत्कार करो दुनिया के मालिक.....
तेरी रचना का अन्त न हो,सांसों के मालिक।।

बहुत दिखाया तबाही का आलम,अब और नही
मरघट सी उदासी की छाया प्रभु अब और नही
खोई खुशियां जग की फिर से लौटा दे दाता....
गर सच है,जीवन मरण तुम्हारे हाथों में ....
तो...अब और नही.....प्रभु!अब और नही.....
               ******0******

                       उर्मिला सिंह