Saturday 29 February 2020

आशा की पतवार....

नाविक ले चल दूर कहीं दूर.......
जहाँ विस्वासों की कश्ती हो...
आशा की हो पतवार...
हम हो तुम हो और हो अपना प्यार.....
नाविक ले चल दूर कहीं दूर......

 जहाँ सूरज प्राणों में ऊष्मा घोले
 कुहू कुहू ‎अमराइ में कोयल बोले 
 ‎जहाँ मञ्जरी की खुशबू बागों में
 ‎साँसों में प्रीत प्यार की  संदल महके
 ‎नाविक ले चल दूर कहीं दूर....
 ‎
एतबारों की सीढ़ी पर चले जीवन भर
जहाँ सरगम मेरी ,आवाज तुम्हारी हो
जहाँ हास तुम्हारा हो खनक हमारी हो
नाविक ले चल दूर कहीं दूर.......
                           #उर्मिल

Thursday 27 February 2020

नम आंखे......

नम हैं आंखे दिल में शोर बहुत है
हाथ में कलम दंगाइयों पर क्रोध बहुत है 
सिमट के रह गईं बस्तियां मोहब्बत की यहां 
इन्सान अपने चरित्र से गिर गया बहुत है!! 
                ******0******
आईना किसी को गलत नहीं बताता 
वक्त लहर है किसी को नहीं बख्शता, 
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समय के संग होड़  लगा के चल ने वाला 
लहुलुहान पाँवों से काटें नहीं निकला करता! 
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लहुलुहान हुई दिल्ली अपनों ने ही ज़ख्म दिया 
नफ़रत की आग जला सियासत अपना खेल दिखाता!! 
                . *****0*****

       









Thursday 20 February 2020

मुझे शर्तों में मत बांधों.....

मुझे शर्तों में मत बांधो मुझे प्यार करने दो
क्षणभंगुर है ये जीवन मुझे इतबार करने दो
अमरलता  बन के  रिश्तों की डोर  फैली है....
इसे सासों में महसूस कर जीभर के जीने दो!!

जो सपने देखें  है उन्हें आँखों मे ही पलने दो 
उम्मीदों से बँधी जिन्दगी को न तोड़ो जीने दो 
भीनी भीनी महक होगी ईन क्षणों की जिन्दगी में 
मुझे ईन पलों  जीने दो न कोई शर्त बांधों!! 

सागर बन सकती हैं ये आंखे तो आज बनने दो
अश्रु दर्द  बन छलक  पड़ता है तो  छलकने दो
प्यार की प्यास बुझती है इसी शर्त से अगर......
गवारा हर शर्त है मेरी आंखों में आँसूं रहने दो!!

              🌷उर्मिला सिंह


वेदना के पल.......

वेदनाओं के ज़हर पीते, हम अकेले  तो  नही... 
हसरतों  के पल संजोते, हम अकेले तो नही... 
फ़िर यहां लगता नहीं क्यों कोई चेहरा अपना... 
वेदनाओं के हर पल जीते हम अकेले तो नही!! 

मन वीना के तार घायल हो रहे प्रतिपल... 
धड़कने भी अपनी बेसुरी हो रहीं प्रतिपल... 
कश्तीयां डूबती हैं,क्यों सदा किनारो के पास 
हैं मचलती लहरें,किनारों के लिए क्यों प्रतिपल!! 

आस का पक्षी फडफडाता,उम्मीदों की शाख पर 
मन की डारियां झुला झूलाती पीले पीले पात पर 
चट्टानों की दरारों से झांकता सहमा सा उजास है 
वेदना की  मुस्कान अँधेरों  से  मिली  सौगात है!! 

भूखे  पेट की  वेदना  चुभती शूल सम ह्रदय में 
सूखे स्तनों को झिंझोडता बच्चा,पीर उठती ह्रदय में 
मजबूरियां मां की बताएं.कैसे ह्रदय हीन जगत को 
भूख की आग में जलती न जाने कितने बस्तियां__
वेदनाओं के इस मौन, निर्मम, शहर में......... 

वेदनाओं के पल को जीते रहते हम प्रतिपल 
आस का पक्षी फडफडाता मन में है प्रतिपल!! 
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                 🌷उर्मिला सिंह 
                 










Friday 14 February 2020

तमाशा.....

बाइस्कोप वाला आया .... 
तमाशे खूब लाया ..... 
क़दर दानों, मेहरबानों.... 
हिन्दुओं को सलाम,  मुस्लिम को आदाब, बच्चों को प्यार, न धर्म न जाति सभी को तमाशा दिखाता...... 
तालियां बजाओ.... 
मुफ़्त का तमाशा देखने के तुम आदी... 
इसी लिए तमाशा भी मुफ़्त में लाया.... 
कहो पसन्द आया... तो बजाओ ताली, 
जय...जय... कलकत्ते वाली!! 

बन्दर है न भालू......, 
अठन्नी, चवन्नी न बनाता रोकड़ा... 
सिर्फ सियासत का तमाशा दिखाता......... 
क्यों कि नेताओं ने तुम्हें पक्का तमाशबीन बनाया.. 
बच्चे बूढे और जवान सब  मुफ़्त में तमाशा देखो.. 
खाने में आइसक्रीम मिल रही मुफ़्त में बिरियानी... 
हवा मुफ़्त, पानी मुफ़्त  देते.... 
अक्ल पर पर्दा..डालते.... 
देखो- देखो नेताओँ का कमाल....
 बन रहे माला माल.... 
शहादत का सबूत मांगे.... 
संवेदना दिल मे नहीं... 
तुम हाँ में हाँ मिलाना..... 
उनके कामों की जय बोलो...!! 

जय काली कलकत्ते वाली.... 
तेरा वार न जाए खाली..... 
इसी बात पर हो जाये ताली....!! 

कुर्सी के लिए लड़ते नेताओं को देखो..... 
नेताओं ने क्या किया.... 
उनको अपना स्वार्थ साधते देखो... 
उन्हें कुर्सी चाहिए , वोट चाहिए..... 
तुम तमाशबीनों से....!! 

फिर तमाशे का सिलसिला शुरू हुआ... 
जी भर के तमाशा दिखाया..... 
 इधर की टोपी उधर, इसकी कुर्सी उसको 
 पूरे साल सोते रहते कुंभकर्ण की नींद...!! 
 
 चुनाव करीब आते ही..... 
खुल जाती नीद  है... 
 फिर तो दनादन सुर्ख़ियों में आता एक पर एक फ्री.. 
शोर - शोर - शोर..... पर अब क्या होता है... 
माला पहने नेता जी को देखो गर्व से हाथ हिलाते मुस्कुराते आते हैं.... 
गहरी मुस्कानों में छुपा हुआ मुर्ख बनाने का राज है.. 

जय बजरंग बली...... 
तोड़ दुश्मन की नली.... 
का नारा होता है.... 
जनता के पाले ठाला ही ठाला होता है ........!! 

                         उर्मिला सिंह 


 





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Monday 10 February 2020

ऐ वतन वालों.....

ऐ वतन वालो!हर बात पे नफ़रत की मत तलवारनिकालो
अपनी ज़मींअपनी मिट्टी,मतइसमेंमज़हबीदीवारनिकालो! 

शहीदों ने मिटा कर जिन्दगी अपनी,लिखीखूनसेआजादी 
अरे नादां, वतन पे गंदे सियासी रंग की मत नजर डालो! 

 उस जुबां को रोक दो जिससे गद्दारी की आवाज आए 
सच्चे भारतीय को गले लगा,घर से छुपे गद्दार निकालो!! 
 
 बहुत हुआ आपसी मन्दिर मस्जिद के झगडे भाईयों 
 नेताओं के छल मे फँसी इंसानियत की जागीर निकालो!! 

सियासी चाल से बर्बाद  हो न जाये ये गुलिस्ता हमारा 
अब तो सड़े गले कानूनो के भंगार निकालो!! 

चहुंओर फैलती विष ज्वाला संस्कारों की जल रहीं होलिका 
शपथ लो आज राष्ट्र हित में छुपे हड्डियों से अंगार निकालो!! 
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              .             उर्मिला सिंह 


  
  








 

 




 

Thursday 6 February 2020

हसीन ख्वाब.....

हसीन ख्वाबों के बिस्तर से उठा गया कोई 
हवा के नर्म झोंकों सा दीवाना बना गया कोई!

 लबों पर मुस्कराहट सलीके से सजा गया कोई 
 सुनहरी  किरणों से अंचल मेरा भर गया कोई! 

 दूनिया की चमक दमक में डूबे प्यार के रंग पर 
 अपनी अकलुष मोहब्बत का रंग चढ़ा ग़या कोई!

 बिखरी हो  चाँदनी जैसे गुलाबों के शाख पर.... 
 जिन्दगी के आंगन में चाँद तारे बिखरा गया कोई! 

 फूलों सा नाज़ुक एहसास है उसकी आहटों का 
 एक अनजानी सी प्यास मन में जगा गया कोई! 
                      *****0*****
                       उर्मिला सिंह