Friday 31 December 2021

नव वर्ष स्वागत है....

जा रहा दिसम्बर दहलीज पर खडी जनवरी
जो दर्द झेलें उन्हें सलाम किये जारहा आखिरी
आने वाले वर्ष खुशियों का पैगाम देना.....
मायूस चेहरों को खुशयों की सौगात देना .....
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चलते हुए पाँओं ज़रा ध्यान  दे के चलना 
पाओं की धूल से किसी की मंजिल न रुक जाए।

किसी के अश्कों को जमीं पर गिरने न देना
इंसानियत की बुलंदियों को शर्मिंदा होने न देना।।

मीठे लफ्ज़ जा जादू जहां में बिखेरते रहना
हर मुसीबत सब्र के साथ बर्दास्त करते रहना।।

हर हाल में प्रभु कृपा का गुणगान करते रहना
मायूसियां प्रभु का दिया वरदान समझते रहना।।

राष्ट्र प्रेम से बढ़कर होता नही कोई प्रेम दुजा,
हर सम्बन्ध  राष्ट्र पर उत्सर्ग करते रहना।।

               उर्मिला सिंह

Thursday 30 December 2021

कुछ भाओं के पुष्प.....

राज-ए दिल न कहो किसी से अजीबोगरीब दुनिया है,
जो दोस्त है कल वही दुश्मन भी हो सकता हैं।
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गुलशन में फूलों  से ही नही कांटों की भी जरूरत होती हैं
जिन्दगी में खुशियां ही नही अश्को की भी  जरूरी होती हैं ।।
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कुछ लोग यादों के गहरे निशान छोड़ जातें हैं
बहार हो या खिज़ा यादों के चिराग जलाजातें हैं।
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जिन्दगी चलते चलते जब थकान से चूर होती है
सांसो से कहती है "दोस्तआ चल कहीं और चले"
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कुछ जख्मों के भरने में देर बहुत लगती है
जख्म देने में जब अपनो की इनायत होती है।
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हौसलों को जिंदा रखने की कोशिस तो कर
जिन्दगी है गर तो ठोकरों से घबड़ाया न कर।
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तेरे कदमों के रफ़तार से मुक़द्दर भी पशेमां होगी
तेरे हौसले की हिम्मत मुक़द्दर को भी  झुका देगी।

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                   उर्मिला सिंह



Wednesday 22 December 2021

फुटपाथ...

 फुटपाथ बिछौना जिनका,आसमां छत है
          वो जिन्दगी की क्या बात करे।

उम्र तमाम हुई तन में साँस अभी बाकी है
सर्दी गर्मी ठंढ  सहे खेल मौत का बाकी है
सूरज का गुस्सा झेले चाँदनी की उपेक्षा.....
हर मौसम दर्द भरा दर-दर की ठोकर बाकी है।।
    
   जिनका फुटपाथ बिछौना,आसमाँ छत है
        वह जिन्दगी की क्या बात करे।।
 
  जीते जी एक हाथ जमीन को रहे तरसते 
  सहानुभूति भरे शब्दो के लिए रहे मचलते
  किस्मत लिखने वाले से पूछता बावला मन 
  रोटी नमक प्याज के लिए क्यों अश्क झरते ।। 

 जिनका फुटपाथ बिछौना,आसमाँ छत हैं
     वह जिन्दगी की क्या बात करे।

यह दुनिया जिन्दी लाशों से बनी दुनियां है
मौत जहां कुंआ होता,बदबूदार होती गलियां हैं
जहाँ भूख से बिलबिलाते तन, मौत एक दवा है
गरीबों के जीवन की होती यही कहानियां....।।


जिनका फुटपाथ बिछौना आसमाँ छत है
     वह जिन्दगी की क्या बात करें

   जहां सिकुड़ी हुई जिन्दगी सांसे गिनती है
   जहां जिन्दगी जख्मों की तुरपाई करती है  
   जहां किलकारी  से पहले बचपन खत्म होता
   जहां जिन्दगी नित्य जीती  मरती रहती है
   वहा सपनो की  कोई  कैसे बात करे।।

      जिनका फुटपाथ बिछौना आसमाँ छत है
           वह जिन्दगी की क्या बात करे।।  
                     उर्मिला सिंह




Friday 10 December 2021

शायद दिल में उतर जाए .....

शायद दिल में उतर जाए ....
दिल में ही रहने वाले छुए अनछुए पहलू.....जिससे जान कर भी अनजान रहतें हैं...
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बन्द कमरे में वन्दे मातरम कहना और बात है
वतन पर जिन्दगी बलिदान करना ओर बात है।।
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भलाई का बदला दुवा करके भी दिया करो
दुआ के जरिये मुश्किल वक्त में उसका सहारा बन  जाया करो।।
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अच्छी बातें सुन कर ह्रदय पट पर लिखा करो
जो लिखो उसे याद भी किया करो
जो याद करो उसे दूसरों को सुनाया भी करो
 ताकि बुराई का खात्मा,
अच्छाई खुशबू बन  बिखर जाए
सारा संसार ही महक जाए।।
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आपसी मतभेदों को मिटा नया इतहास लिखना चाहिए
एकता के गीत गुनगुना कर दिलों को एक करना चाहिए
बन्धुत्व न्याय के आधार पर मंजिल तय करना चाहिए।।
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बुद्धजीवी कहते किसे समझ न पाया मन बिचारा
हवा का रुख जिधर देखा उधर लुढ़क जाता बेचारा।।
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आंसू का  कतरा कतरा महंगा होता है
कीमत जाने वहीं जिन नयनों से आसूं झरता है।
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       उर्मिला सिंह