सावित्री ने यमराज से अपने पति का जीवन दान मांगा था
पर मेरी 'कविता '---कानून ,समाज,तथा समस्त पुरुष वर्ग से उनके आत्मा की दौलत मांगती है ,करुणा इन्सानित  .
संवेदनशीलता का भाव मांगती है।
अन्धा युग.....
 अन्धा युग अन्धी दुनियाँ
  विकसित भारत परअविकसित मानसिकता
  सपने आसमां छूने का ,कर्म अनैतिकता
  दुष्कर्मों से हाथ मिलाते रक्षक भक्षक होते
  मौत न्याय दिलवाता प्रशासन सोया रहता।
   पाशविक दृष्टि, शर्मशार होती सृष्टि
   दुष्कर्म की विजय नैतिकता दम तोड़ती
   रीढ़ की हड्डी टूटती नर पशु अट्टहास करता
   चीख सुन जश्न मनाता क्रूरता की इंतहा होती।
    स्वर्ग नर्क के मध्य बहती नदी है नारी
    तो जिस्म की दरिंदगी पौरष की पहचान होती है
    इन्सानियत के सड़ते गलते टुकड़े  सड़को पर घूमते
    सारे आदर्श,कायदे पर बलि का बकरा नारियां होती।
    अन्धे युग अंधे कानून  का होगा कब अन्त 
    सम्बवेदन हीन राजनीति का कब बदलेगा वक्त
    कब संविधान के कानून,अदालत से न्याय मिलेगा 
   पाशविक,महाबलियों की गुंडागर्दी का होगा कब अन्त।।
                उर्मिला सिंह
