प्रार्थना का मूल रूप.....
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प्रार्थना जितनी गहरी होगी
उतनी ही निःशब्द होगी
कहना चाहोगे बहुत कुछ
कह ना पाओगे कभी कुछ।
विह्वल मन होठों को सी देंगे
अश्रु आंखों के सब कह देंगे
संवाद नही मौन चाहिए .....
प्रभु मौन की भाषा समझ लेंगे।।
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