Saturday, 2 November 2024

जिन्दगी में क्या है?

   जिन्दगी में क्या है,कुछ ख्वाब कुछ उम्मीदें

   अगर इनसे खेल सको तो कुछ पल खेलो।।


    रिश्ते लिबास बन गए आज की दुनियां में

    हर चेहरे पर नकाब है देख सको तो देखो।।


    थक  गई अश्कों को छुपाते  छुपाते पलके

    छुपे ज़ख्मों के ज़खीरे देख सको तो देखो।।


  चलते चलते जिन्दगी की कब शाम हो जाए

दिए की लौ कैसे बुझती है देख सको तो देखो।।

  

 समझौता करके चले थे पथरीली राहें तुझसे

पैरों के हंसते छालों कोसमझ सको तो देखो।।

                 उर्मिला सिंह

 

 

   

    

     

Wednesday, 30 October 2024

आज कुछ ऐसे दीप जलाएं

     

चलो दीपावली ऐसी मनाएं 

तिमिर आच्छादित न हो....

अंतर्मन को पावन कर.....

 नेह की लौ तेज कर लें

जगमग जीवन हो  जाए।।.

चलो आज ऐसा दीपक जलाएं।।

तमस सत्य पर आवरित न हो

 प्रीत की बाती विश्वास का तेल हो

 किसी से क्षमा मांग ले .....

 किसी को क्षमा कर दें...

 होठों पर मुस्कानों की ....

 लौ तेज कर लें....

 चलो आज ऐसा दीपक जलाएं।।

 नेह से रीते घड़े में

 ज्योति पुंज जगमगाए

 धरती अम्बर भी मुस्कुराएं

  उत्साह की लहरे उठे...

  प्रत्येक मन में....

  खुशियों के पौध लहराए

चलो आज ऐसा दीपक जलाएं...।।

         🌷 उर्मिल 🌷

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Thursday, 24 October 2024

जीवन का यथार्थ

जीवन का यथार्थ.....

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शाम का समय.....

ढलते सूरज की लालिमा....

आहिस्ता- आहिस्ता......

समुन्द्र के आगोश में.....

विलीन होने लगा......

देखते -देखते.....

अदृश्य होगया........

जिन्दगी भी कुछ ऐसी ही है.......

मृत्युं के आगोश में लुप्त होती ....

इंसान के वश में नही रोक पाना.....

लाचार ....बिचारा सा......इंसान

फिर भी गर्व की झाड़ियों में अटकता.....

अहम के मैले वस्त्रों  में

सत्य असत्य के झूले में झूलता....

जीवन की अनमोल घड़ियां गवांता......

जीवन की उलझनों में उलझा

सुलझाने की कोशिश में 

पाप पुण्य की परिधि की...

जंजीरों में जकड़ा

निरंतर प्रयत्नशील

अंत समय पछताता हाथ मलता.......

कर्मों का बोझ सर पर लिए अनन्त में.....

विलीन हो जाता......

जीवन का यथार्थ यही है.....शायद

जो हम समझ नही पाते हैं.......


  🌷उर्मिला सिंह



Sunday, 25 August 2024

कृष्ण जन्माष्टमी पर एक पुकार

सुनो हे कृष्ण मुरारी,व्यथा से पीड़ित नारी

 क्या इस युग में भी तुम आओगे?

प्रश्न हमारा तुमसे है ,हे राघव हे बनवारी

पुकार लगाया जब दीनो ने,दौड़े आए चक्रधारी

हमरी बारी क्यों देर भई कुछ तो बोलो गिरधारी।।

           उर्मिला सिंह

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Tuesday, 16 July 2024

मुजरिम,वकील जज हम्ही.....

मुजरिम वकील जज हम ही हैं
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वक्त के साथ साथ रिश्ते भी बदरंग हो जाते हैं 
उम्र के इस मोड पर जीने के मायने बदल जाते हैं।।

मन की कचहरी में मुजरिम वकील जज भी हमीं 
पर सत्य कहने का बता तूं हौसला कहा से लाऊं ।।

 किस यकीं पर उसे अपना कहूं.....
 रोशनी आंखों से छीन ली मेरी जिसने.....।

एक जलजला आया बचा न पास कुछ अब मेरे 
एक खुद्दारी ही रह गई है किस्मत से पास मेरे ।

ढूंढती हूं यकीं का वो गुलशन जो खो गया कहीं 
आस चुपके से अश्कों के कब्रगाह में सो गई कहीं।

              उर्मिला सिंह

Saturday, 29 June 2024

टेढ़ी मेढी जीवन राहों की मोड़.....

     उलझे सुलझे रिश्तों की डोर

    टेढ़ी मेढ़ी जीवन राहों की मोड़।

    सोच रहा विचारा व्याकुल मन 

कैसे सुलझाऊं,उलझी गांठों की डोर

    पाऊं कैसे दुस्तर मंजिल की छोर।।

                उर्मिला सिंह


 

Monday, 13 May 2024

हम स्वतंत्र हैं

       कुछ न कहिये जनाब  स्वतंत्र हैं हम........

           बोलने की आजादी है --तो

       नफ़रत फैलाने की स्वतन्त्रता---- भी

       लिखने पर कोई रोक टोक नही --तो

       शब्दों की गरिमा भी समाप्ति की.....

       देहरी पर सांसे गिनती दम तोड़ रही है....

       

       कुछ न कहिये जनाब  स्वतन्त्र हैं --हम....


        बच्चे हैं तो क्या हुआ, स्वतंत्र हैं --हम

        मां बाप का कहना क्यों माने.....

        अपनी मर्जी के मालिक हैं -- हम

        हमें पालना जिम्मेदारी है उनकी...

        आखिर बच्चे तो उनके ही हैं --हम।


        कुछ न कहिये ज़नाब स्वतन्त्र हैं --हम.....

        

       गुरु शिष्य का नाता पुस्तकों में होता है...

       आदर भाव तो बस सिक्कों से होता है।

       भावी समाज का निर्माण हमसे होता है...

   संसद से समाज तक  स्वतन्त्रता का परचम.

       लहराते  धर्म नीति की धज्जिया उडातें ...

     स्वतन्त्र  भारत के स्वतन्त्र नागरिक हैं हम

       

    कुछ न कहिये ज़नाब स्वतन्त्र हैं-- हम......!

      त्रस्त सभी इस स्वतन्त्रता से....

       पर आवाज उठाये कौन....!

      स्वतन्त्रता को सीमित करने की ....

      नकेल पहनाए कौन.....!!

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                            उर्मिला सिंह