आज तूफानों को मनमानी कर लेने दो,
अपनी साध उन्हें भी पूरी कर लेने दो!
अभी  तो सागर ने विष उगला  है,
उठा है उर में अभी तो ज्वार,
अभी तो लहरों ने कश्ती को उछाला है,
डूबना अभी तो उसका बाक़ी है! 
आज तुफानों को मनमानी कर लेने दो,
साध उन्हें भी अपनी पूरी कर लेने दो!
बड़े-बड़े तुफानों से टकरायेगी,
साहस को अपने आजमाएगी
माना की कश्ती जर्जर है,
समय की सिमा भी कम है ,
पर विश्वासोँ  की हार नही मानेगी!
आज तूफ़ानों को मनमानी कर लेने दो,
चाह  उन्हें  भी  अपनी पूरी  कर लेने दो।
कभी  तो   लहरे   प्रतिकूल   बनेंगी,
कभी तो झंझावत की गति धीमी होगी।
जब  तक  साँसो  में   स्पंदन  है,
जब  तक  बाँहो  में  दम  है ,
नाविक की हार नही होगी |
आज तूफ़ानों को मनमानी कर लेने दो,
चाह उन्हें भी अपनी  पूरी कर लेने दो !
                                            ## उर्मिल##