Saturday, 7 July 2018

खामोशियाँ...

सोचती हूँ कभी कभी ख़ामोशियों को जुबान दूँ!
अल्फाजों का हार पहना उसे दिल में उतार दूँ!
उसे भी बोलने का हक है मिला जिन्दगी में!
आज उसे भी उसके हक से रूबरू करा दूँ!!

                            #उर्मिल

2 comments:

  1. शुभकामनाएँ....
    पहली बार आप ब्लॉग पर दिखाई दी
    गूगल फॉलेव्दर का गेजेट लगाइए
    आभार

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