महाशिवरात्रि के  पावन पर्व  पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
यूँ तो सभी शिवजी  का पूजन अर्चन करतें हैं किन्तु महाशिवरात्रि की अवधारणा विशिष्ट  है।
आध्यात्मिक ज्ञान के आलोक स्तम्भ है शिव बाबा। शिव समस्त शक्तियों के जनक हैं जो भी शक्ति है शिव की ही है। अतएव शिव - शिव का नाम जपन हो, शिव में ही लीन तनमन हो, यही मुक्ति का मार्ग है।
ॐ नमः शिवाय
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शिव शंकर भोले भंडारी
विनय सुनो मम त्रिपुरारी
देवों के देव  कहाते तुम
हे विश्वनाथ काशी वासी...
विनय सुनो महादेव कल्याणकारी...
हे ! जगत नियन्ता कैलाशपति
हे ! देवों के देव गिरिजाधिपति
हे ! तांडव कारी रुद्र रूप धारी
अखण्ड- अनन्त जटा गंग धारी...
बिनय सुनो मम त्रिपुरारी......
  व्याघ्र चर्म अंग विराजत
  भुजंग भूषण चन्द्रमुकुट सोहत
  भस्म अंग लगाय छवि मन मोहे
   कर  त्रिशूल  डमरू सोहे.....
   विनय सुनो  हे मंगलकारी.....
  असुर निहन्ता प्रभु प्रलयंकारी
  परम ब्रम्ह परम धाम परम गति
  गल रुद्राक्ष ,सर्प माल सुशोभित
  अति दयालु तुम जग के स्वामी...
   सुनो विनय हे करुणा कारी.....
  हे आदि अनादि अनन्त अखण्ड 
  वेद पुराण तुम्हरो गुण गावे..
   हे ! आशुतोष शरण मम लीजे
   दीन पुकार सुन उबार मोहि लीजे...
    सुनो बिनय हे ! प्रभु श्मशानी......
     चर अचर जड़ चेतन 
     सबही के नियंता तुम
     हे रामेश्वर ,हे विश्वेश्वर
     हे मार्कण्डेय हे अमरनाथ
     सुनो विनय हे शूलपाणी......
                    उर्मिला सिंह
