Saturday, 9 July 2022

बदलते समय.....कच्चे रिश्ते....

आज का समय ....जहां रिश्ते मिनटों में बनते बिगड़ते हैं।
        
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शादियों में हल्दी चन्दन सिंदूर तो है
पर रिश्तों के बन्धन का  पता नही
मिठाई,बुलावा ढोल तमाशे तो हैं.....
रिश्तों में प्यार संवेदना का पता नही।।

लिफाफे,उपहार पेकिंग की तारीफ़ तो है शुभकामनाओं की गहराई का पता नही
डब्बो के रंग  डिजाइन की होती तारीफें
महक ,स्वाद का क्या होता कोई पता नही..।।

उम्मीदों की लालटेन हाथों में तो है
ख्वाबों की रोशनी का कुछ पता नही
खुशियों की चाभी औरों के हाथों में...
किस्मत की मंजिल का कोई पता नही।।
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             उर्मिला सिंह




18 comments:

  1. बहुत बहुत धन्यवाद कामनी सिन्हा जी ,हमारी रचना को चर्चा मंच पर रखने के लिए।

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  2. सब यों ही चले जा रहा है ...कोई करे तो क्या करे !

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    1. सही कहा आपने ,बहुत बहुत धन्यवाद

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  3. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 11 जुलाई 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत आभार आपका यशोदा जी हमारी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए।

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    1. हार्दिक धन्यवाद रंजू भाटिया जी।

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  5. समय के सोते में बह रहा है सब।
    बहुत सुंदर

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    1. अनिता जी स्नेहिल धन्यवाद ।

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  6. यथार्थ का सटीक चित्रण किया है आपने दीदी । सुंदर रचना ।

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  7. खुशियों की चाभी औरों के हाथों में...
    तो
    किस्मत की मंजिल का कैसे पता चले..!

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  8. बस सब चल रहा । सटीक अभव्यक्ति ।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद संगीता जी

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  9. सत्य को दर्शाती बहुत ही सटीक रचना दी।
    बहुत बहुत सुंदर।

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  10. बेहतरीन रचना दी।

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  11. सटीक और बेहतरीन अल्फाज!!!

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