Tuesday 7 August 2018

धरती का स्वर्ग......

धरती का स्वर्ग हमारा कश्मीर......
यहाँ वादियाँ महकती केसरी फूलों से,
चिनारों के पत्ते सजे शबनमी बूँदों से,
रात अँधेरी झिलमिल करती झीलों के जेवर, स्वर्ग उतर आया हो जैसे कश्मीर में !!

यहाँ फिज़ाओं में घुली मोहब्बत,
यहाँ की ज़ुबा केसरी ,हैै खूबसूरत,
इंसाँ यहां जैसे फरिश्तों की हो बस्ती!
हसीं नजारें बरसते बर्फ के टुकड़े,
धरा का स्वर्ग हमारा कश्मीर....!!

सूफी संतों,बाबा ऋषि की दरगाह यहाँ
भजन अजान दोनो का दोस्ताना यहाँ
चारो तरफ फैला कुदरत का नज़ारा
भोले भंडारी शिव विराजमान यहाँ
वैष्णव देवी का पुण्य धाम यहाँ.....
धरा का स्वर्ग हमारा कश्मीर.....

पर हवा कुछ ऐसी गर्म हुई,
नफ़रत का ज़हर घुला हवावों में,
केसर क्यारी लहूलुहान हुई,
छा गई उदासी धरती के स्वर्ग में!
फिर भी दिल कहता बार बार,
धरती का स्वर्ग हमारा कश्मीर!
भारत का दिल हमारा कश्मीर!!
              ***0***
         🌷उर्मिला सिंह

5 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना उर्मिला जी

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  2. Kashmir ki wadiywo ki khubsurati ik mishal hae dharti ke madmast hrday pe priytam ke intzaar me mano wasundhra baethi ho saz dhaz ke saz swaar ke hri hri wo sabnami pattiya jhilwo ke jewar jhilmil jhilmil jhalak rhe adhar pe rang birangi phulwo ki khushbu bikherti swatarg se utar rhi barf ki apsara ahista ahista hwole hwole se

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  3. बहुत सुन्दर रचना लिखी दी ...नमन स्वीकार करें

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  4. उत्तम रचना की आदरणीया
    .
    पर हवा कुछ ऐसी गर्म हुई,
    नफ़रत का ज़हर घुला हवावों में,
    केसर क्यारी लहूलुहान हुई,
    छा गई उदासी धरती के स्वर्ग में!
    फिर भी दिल कहता बार बार,
    धरती का स्वर्ग हमारा कश्मीर!
    भारत का दिल हमारा कश्मीर!!
    सोचनीय

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  5. बहुत सुंदर दी,
    मन मोहक वर्णन और साथ ही बदलती हवा का उजडता असर इस स्वर्ग पर ।
    अप्रतिम ।

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