Tuesday 14 August 2018

ख्यालों की अमराई....


कतरा कतरा अश्क ढुरे ,रातों की तन्हाई में!
चाँद भी छुप छुप आये जीवन की तरुणाई में!!

इश्क निगोड़ी दस्तक देती ख्यालो की अमराई में,अहसासों पर पहरे बैठे आँगन की चारदीवारी में!!
ख़ामोशी की भाषा समझाये कैसे निर्मोही को
मीत!साकल खटखटाये प्रीत की बरजोरी में!!

बहती बयार संदिली खुशबू उसकी पहुँचा जाती,  
भूली यादे छा जाती फिर मन की गहराई में !!

मन दूर दूर उड़ता है ख़्वाबों की उड़ानों में , यथार्थ की धरती दिखती नही सपनों की कहानी में!!
                  ****0****
                   🌷उर्मिला सिंह

6 comments:

  1. उम्दा दी बहुत बेहतरीन ख्याल है हर शेर उम्दा।

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  2. वाह वाह उर्मि दी .....कितनी कशिश भरी है लेखन मैं
    जा पहुंचा दिल की गहराई में !
    निशब्द कर दिया दी

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  3. बहती बयार संदिली खुशबू उसकी पहुँचा जाती,
    भूली यादे छा जाती फिर मन की गहराई में !!
    बहुत ख़ूब... वाह

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  4. Bahut sundar rachna
    Dhire dhire dil me utarti

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  5. बहुत ख़ूब ..
    सच है ख़्वाबों कि दुनिया हक़ीक़त नहीं देख पाती ...
    अच्छी रचना ...

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १७ अगस्त २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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