Sunday 31 March 2019

अश्क पतझर सरीखे लग जाते.......

अश्क  आँखों के.....
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अश्क जो ह्रदय  तल में  छुपे रह जातें,
मौनआँखों से मन की पीड़ा कह जाते,
ह्रदय की पीर से पलकों की कोर नम होती,
मधुमास भी  पतझड़  सरीखे लग जाते !!
                    🌷उर्मिला सिंह

4 comments:

  1. बहुत ख़ूब मुक्तक ...
    अश्क़ पीड़ा कम कर देते हैं ...

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  2. धन्यवाद अनुराधा जी

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  3. धन्यवाद दिगम्बर नासवा जी

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