Friday, 3 May 2019

नव युग की नारी.....

नव युग की नारी.....
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प्यार समर्पण निष्ठा को खुली चुनोतिें अब देने दो
सड़े गले रीत रिवाजों का अंत हमें अब करने दो !!

         मंजिल के पथ पर कदम बढ़ाने दो
         जख्मों का दर्द मलहम बन जाने दो
         जिन्दगी से आँख चुराया हमने पल पल
         ख्वाबों की बारात का बुझते दिये जलाने दो

 नव  युग  की नारी है पँखो  में उड़ान  भरने दो!
सदियों बाद खुली हवा में खुल के सांस लेने  दो!!

       अभी कुहरे को कुछ और छटने दो!
       अम्बर में कुछ तेज रोशनी होने दो!!
       अभी तो जंजीरों को खोले हैं हमने!
       विस्तृत गगन को जरा तो तौलने दो!!

नव युग की नारी नव आसमाँ में उड़ान भरने दो!
सदियों बाद खुली हवा में खुल के साँस लेने दो!

      लगाये घात अनेको यहाँ बाज बैठे हैं !
      उनसे बचने के पैतरे भी सीखने दो!!
      पर कतरने को तैयार जल्लाद बैठे  हैं
      उन्हें सीख देने को खड्ग हाथ लेने दो
  

नव युग की नारी नव आसमाँ में उड़ान भरने दो!
सदियों बाद खुली हवा में खुल के साँस लेने दो!

     समाज की अवहेलना सह जीते रहे सदा
     व्यंग वाणों से ह्रदय छलनी होता रहा सदा
     कलियाँ मसलती रही अहम हँसता रहा सदा!
     अहम की गूंज का हथियार हाथों में लेने दो !!

नव युग कि नारी नव आसमाँ में उड़ान भरने दो!
सदियों बाद खुली हवा में खुल के साँस लेने दो!
      
         ऋचाएं काव्य सभी आज झूठे हो गये!
         ‎तुलसी कालिदास जैसे भाव लुप्त हो गए!!
         ‎हमें सीख मत  दो सीता और राधा की!
         ‎हमें विरांगना बन जीने का आशीर्वाद दो!!

नव युग की नारी नव आसमाँ में उड़ान भरने दो!
सदियों बाद खुली  हवा में खुल के साँस लेने दो ! 

          ऊँच नीच धर्म की राज नीत करतें हैं सभी!
          ‎बलात्कार रेप धर्म की नही, नारी की होती!!
          कानून पुलिस सियासत सभी ख़ामोश होते!
          इन्हें  सबक सिखाने का हौसला भरने दो !!

    नव युग की नारी नव आसमाँ में उड़ान भरने दो!
    सदियों बाद खुली हवा में खुल के साँस लेने दो!
           ‎                                   
           ‎                                         #उर्मिला
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9 comments:

  1. बहुत सटीक सराहनीय रचना दी।

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  2. बेहतरीन रचना दी

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  3. वाह !दी बेहतरीन रचना 👌
    सादर

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  4. हार्दिक धन्यवाद अनिता जी

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  5. धन्यवाद अनुराधा जी

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  6. काफ़ी दिनों से आप का ब्लॉग पढ़ना चाहती थी प्रिय दी
    बहुत ही सुन्दर ब्लॉग और बहुत ही सुन्दर रचना
    प्रणाम
    सादर

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  7. प्रिय अनिता हम तो बस ऐसे ही लिखने वाले हैं कभी कभी लिख लेते हैं ।आप ने पढ़ा इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद।

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  8. धन्यवाद अनुराधा जी

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