Saturday 3 July 2021

माँ....

माँ'जिन्दगी का नगमा है जो ग़म में सुकून देता है।
मां का आँचल पेड़ की छांव है जो दर्द की धूप से बचाता है।।

मां की ख़ुशबू से सारा जहां महक उठता है....
मां का प्यार वो मशाल है जो सही रास्ता दिखाता है।

माँ का  दिल औलाद की गलतियों को भी माफ़ 
करता हैं।
उसे रुसवा न करना कभी उसके कदमों में स्वर्ग मिलता है।।

             उर्मिला सिंह

13 comments:

  1. सच कहा दी माँ तो बस माँ होती है।
    सब कुछ जानकर भी अनजान होती।
    बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन।
    सादर

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    1. बहुत बहुत आभार अनिता सैनी जी।

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  2. मां को समर्पित बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।

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    1. हार्दिक धन्यवाद जिज्ञासा जी ।

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  3. मां शब्द ही बहुत प्यारा है और आपके भाव अनमोल है

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    1. रचना की प्रसंशा के लिए आभारी हूँ।

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  4. माँ जिसका ना कोई पर्याय है नाहीं सानी

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    1. सही कहा गगन शर्माजी 'मां का कोई प्रर्याय नही
      हार्दिक धन्यवाद आपको।

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  5. माँ से बढ़कर कुछ नहीं। सुंदर अभिव्यक्ति।

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  6. हार्दिक धन्यवाद मीना जी ।

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  7. रविन्द्र जी अन्तर्मन से आभारी हूँ आपकी ।
    आपने मेरी रचना को चर्चा मंच के लिए चुना।पुनः धन्यवाद।

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