Wednesday 22 September 2021

सांसों पर पहरा नही अच्छा होता ....

सांसों पर पहरा नही अच्छा होता है
दर्द नासूर बन जाये कहाँअच्छा होता है।।

पत्थरों से सिर टकराने से फायदा क्या...
यहां इंसानियत खुदगर्ज़ इन्सान बहरा होता है।

हर गली कूचों  में सैय्यादों का डेरा है,
सुनहरे पिंजरे में बैठाने का वादा होता है।

पत्ते-पत्ते,कण कण पर जीवन वेद लिखा है
ह्रदय की करुणा में भगवान रहा करता  है ।

 सुख क्षणिक दुख लम्बा  लगता है 
 सत्कर्म  करो जीवन सुखद लगता है।।

फिज़ाओं में मोहब्बत की खुशबू घुली हो,
पत्ता-पत्ता बूटा-बूटा मुस्कुरा उठता है।।
                 उर्मिला सिंह


 






4 comments:

  1. सुंदर संदेशपूर्ण रचना ।

    ReplyDelete
  2. Replies
    1. शुक्रिया आलोक सिन्हा जी।

      Delete
  3. हार्दिक धन्यवाद जिज्ञासा जी।

    ReplyDelete