Wednesday 4 May 2022

घाव जिन्दगी के....

अनगिनत घाओं की गिनती करूँ कैसे
अश्को से भींगते मन को सुखाऊं कैसे
वादियों में आहों का शोर  छुपाऊं कैसे
हवाएं नफ़रतों का संदेश ले आ रहा 
ह्रदय को छलनी होने से बचाऊं कैसे।।

4 comments:

  1. सुंदर भाव ।हार्दिक शुभकामनाएं

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  2. हार्दिक धन्यवाद मान्यवर

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  3. Replies
    1. आभार व्यक्त करती हूं।

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