सागर लहरें
Wednesday, 4 May 2022
घाव जिन्दगी के....
अनगिनत घाओं की गिनती करूँ कैसे
अश्को से भींगते मन को सुखाऊं कैसे
वादियों में आहों का शोर छुपाऊं कैसे
हवाएं नफ़रतों का संदेश ले आ रहा
ह्रदय को छलनी होने से बचाऊं कैसे।।
4 comments:
जयकृष्ण राय तुषार
5 May 2022 at 01:28
सुंदर भाव ।हार्दिक शुभकामनाएं
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उर्मिला सिंह
5 May 2022 at 01:46
हार्दिक धन्यवाद मान्यवर
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आलोक सिन्हा
5 May 2022 at 04:19
बहुत सुन्दर
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उर्मिला सिंह
5 May 2022 at 21:44
आभार व्यक्त करती हूं।
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सुंदर भाव ।हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद मान्यवर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteआभार व्यक्त करती हूं।
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