कतरा कतरा अश्क ढुरे ,रातों की तन्हाई में!
चाँद भी छुप छुप आये जीवन की तरुणाई में!!
इश्क निगोड़ी दस्तक देती ख्यालो की अमराई में,अहसासों पर पहरे बैठे आँगन की चारदीवारी में!!
ख़ामोशी की भाषा समझाये कैसे निर्मोही को
मीत!साकल खटखटाये प्रीत की बरजोरी में!!
बहती बयार संदिली खुशबू उसकी पहुँचा जाती,
भूली यादे छा जाती फिर मन की गहराई में !!
मन दूर दूर उड़ता है ख़्वाबों की उड़ानों में , यथार्थ की धरती दिखती नही सपनों की कहानी में!!
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🌷उर्मिला सिंह
उम्दा दी बहुत बेहतरीन ख्याल है हर शेर उम्दा।
ReplyDeleteवाह वाह उर्मि दी .....कितनी कशिश भरी है लेखन मैं
ReplyDeleteजा पहुंचा दिल की गहराई में !
निशब्द कर दिया दी
बहती बयार संदिली खुशबू उसकी पहुँचा जाती,
ReplyDeleteभूली यादे छा जाती फिर मन की गहराई में !!
बहुत ख़ूब... वाह
Bahut sundar rachna
ReplyDeleteDhire dhire dil me utarti
बहुत ख़ूब ..
ReplyDeleteसच है ख़्वाबों कि दुनिया हक़ीक़त नहीं देख पाती ...
अच्छी रचना ...
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार १७ अगस्त २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।