Sunday 2 August 2020

स्वासों के रहते तुम अपना पद चिन्ह बना दो....

स्वासों के रहते तुम अपना पद चिह्न बना दो....

 कर के कुछ ऐसा जग में दिखला दो......
 हर दिल में तुम अपनी पहचान बना लो
ओरों के पदचिन्हों पर चलने के आदी हो.....
स्वासों के रहते ही तुम अपना पद चिन्ह बना दो।।
 
 रेत के टीले सा कर्म नही हो .....
 जो आज रहे कल  ढ़ह जाए......
 खुशबू उसकी ऐसी हो
 जन मानस में रच बस जाए
 उस खुसबू से पद चिन्ह बनेगा तेरा
 वर्षों तक जग याद रखेगा उसको।।
 
  स्वासों के रहते तुम अपना पद चिन्ह बना दो।।

                        उर्मिला सिंह
  


 


5 comments:

  1. अपने को इतना योग्य बना लो की लोग आपके पद चिन्हों को याद करें...
    बहुत सुंदर रचना ...
    पदचिन्हों पर...

    ReplyDelete
  2. हार्दिक धन्यवाद मान्यवर आपका हमारी रचना को इस चर्चा में शामिल करने के लिए।

    ReplyDelete
  3. खुशबू उसकी ऐसी हो
    जन मानस में रच बस जाए
    उस खुसबू से पद चिन्ह बनेगा तेरा
    वर्षों तक जग याद रखेगा उसको।। बहुत सुंदर और सार्थक रचना दी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. स्नेहिल धन्यवाद प्रिय अनुराधा चौहान जी।

      Delete
  4. रेत के टीले सा कर्म नही हो .....
    जो आज रहे कल ढ़ह जाए......
    खुशबू उसकी ऐसी हो
    जन मानस में रच बस जाए
    उस खुसबू से पद चिन्ह बनेगा तेरा
    वर्षों तक जग याद रखेगा उसको।।
    सुंदर सार्थक सृजन आदरणीय दीदी | सादर शुभकामनाएं और प्रणाम |

    ReplyDelete