आज वरदान दे माँ आज दे वरदान मां
अपने स्नेहा-अंचल की छांव,आज दे वरदानमां
हृदय ज्वार अपरिमित आज है
दिखती नहीं ...कोई पतवार है
अगम अनजान पथ राही अकेला....
दुर्बल मन, शक्ति.... की आस है
आज वरदान दे मां आज दे वरदान मां
जीवनपथ निर्वाण बन जाय,आज दे वरदान मां।
आधार एक तेरा हृदय में...
अश्रु बूंदे करती मनुहार तुझसे
विकल मन, क्रंदन करती सांसे
मुक्तिद्वार का विश्वास दे.....
आज वरदान दे मां,आज दे वरदान मां
जर्जर मन पीड़ा काअवसान,आज दे वरदानमां।
थके पैर ,आज गति प्रदान कर
संसार के हर भार से मुक्त कर
हर सांस लिख रही विरह गीत अब,
चरण की चाह,पूर्णता का वरदान दे मां
चिर सुख दुख के अन्त का आज उजास दे
आज वरदान दे मां ,आज दे वरदान मां
पावन चरणों की छांव दे आज वरदान दे मां ।।
उर्मिला सिंह
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर शुक्रवार 6 दिसंबर 2024 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आपका रचना को मंच पर शामिल करने के लिए।
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद मान्यवर
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत सृजन
ReplyDeleteआभार आपका
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