दर्दोगम को दिल में छुपाये रखती है
कई ख्वाब आँखों में सजाये रखती है
जिन्दगी को तपिश की लपटों से बचाती हुई
नारी पहेली बनी कर्तव्य पर उत्सर्ग रहती है !!
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#उर्मिल
सुलझाने से भी न सुलझे वो ज़िन्दगी है
समझ समझ के भी न समझे ऐसी पहेली है
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# उर्मिल
सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार मान्यवर
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति दी।
ReplyDeleteसादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार १० दिसम्बर २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
आभार श्वेता जी हमारी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए।
Deleteअबूझ पहेली नारी ? : )
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteवाह, नारी और ज़िंदगी दोनों पहेली ! वैसे तो यह सृष्टि ही एक रहस्य है
ReplyDeleteआभार अनीता जी 🙏
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद
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