Friday 12 June 2020

कुछ न कहिये ज़नाब स्वतन्त्र हैं हम.....

कुछ न कहिये जनाब  स्वतंत्र हैं  - हम........ !
     
       बोलने की आजादी है --तो
       नफ़रत फैलाने की स्वतन्त्रता---- भी
       लिखने पर कोई रोक टोक नही --तो
       शब्दों की गरिमा भी समाप्ति की.....
       देहरी पर सांसे गिनती दम तोड़ रही है.......
       
       कुछ न कहिये जनाब  स्वतन्त्र हैं --हम........!

        बच्चे हैं तो क्या हुआ, स्वतंत्र हैं --हम
        मां बाप का कहना क्यों माने.....
        अपनी मर्जी के मालिक हैं -- हम
        हमें पालना जिम्मेदारी है उनकी...
        आखिर बच्चे तो उनके ही हैं --हम।

        कुछ न कहिये ज़नाब स्वतन्त्र हैं --हम.......!
        
       गुरु शिष्य का नाता पुस्तकों में होता है...
       आदर भाव तो बस सिक्कों से होता है।
       भावी समाज का निर्माण हमसे होता है...
       संसद से समाज तक  स्वतन्त्रता का परचम....
       लहराते  धर्म नीति की धज्जिया उडातें ...
       स्वतन्त्र  भारत के स्वतन्त्र नागरिक हैं --हम !
       
       कुछ न कहिये ज़नाब स्वतन्त्र हैं-- हम......!

      त्रस्त सभी इस स्वतन्त्रता से....
       पर आवाज उठाये कौन....!
      स्वतन्त्रता को सीमित करने की ....
      नकेल पहनाए कौन.....!!
                      
                 ****0****
                                       उर्मिला सिंह
      


      
    
   
        
        
                                  
        

           

2 comments:

  1. स्वतंत्रता के साथ साथ हमें अपने संस्कारों,कर्तव्यों और आदर्शों का भी भली भाँति बोध होना चाहिये...
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
    गंभीरता से विचार और मनन करने
    योग्य....
    💐💐

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  2. हमारी रचना को चर्चा मंच पर शामिल करने के
    लिये हार्दिक धन्यवाद।शुभप्रभात

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