Saturday 4 July 2020

सरहद.......

देश की .सरहद...पावन धाम है
उसके कण कण में 
भासितशहीदों की सांस है।।
 देश प्रेम के अमृत का 
 जब योद्धाओं ने पान किया
  सारे रिश्ते बौने होगये
 बन्दे मातरम बस याद रहा।।
 सरहद की रक्षा सैनिक का 
 एक मात्र ध्येय बना
  पावस बसन्त  पतझड़ या हो ग्रीष्म
  सब उनके लिए समान हुवा।।
जीवन के सुख दुख सरहद से जुड़ जातें हैं
  रातों की नीद दिल का चैन
  सभी कुर्बान देश के लिए कर जातें हैं।।
               ****0****
                      उर्मिला सिंह

   
  

7 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(०८-०७-२०२०) को 'शब्द-सृजन-२८ 'सरहद /सीमा' (चर्चा अंक-३७५३) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

    ReplyDelete
  2. हार्दिक धन्यवाद अनिता जी हमारी रचना को शामिल करने के लिए।

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर।
    समर्थकों (फालोवर्स) का विजेट भी लगाइए अपने ब्लॉग में।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद मान्यवर ।

      Delete
  4. बहुत सुंदर सृजन दी ।
    अप्रतिम।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद प्रिय कुसुम।

      Delete
  5. हार्दिक धन्यवाद यशोदा जी हमारी रचना को शामिल करने के लिए।

    ReplyDelete