Sunday 23 September 2018

शब्द.

शब्द फूल से नाज़ुक पत्थर से कठोर होते हैं ,ये यदि दुसरों को मायूस करते हैं ,तो स्वयम के मन को भी अशान्त करतें हैं ।
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                      शब्द......

शब्द ,शब्द ही नही व्यक्तित्व का आईना होता है
शब्द भाओं में ढल अर्चना और अरदास होता हैं!
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शब्दों के जलवे न पूछो कभी तीर कभी गुलाब है,
शब्दों से चन्दन की शीतलता  का आभास होता है!
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सम्वेदनाओं से अभिभूत  शब्द  दर्द का उपचार है,
शब्द से नफ़रत तो शब्द ही प्रेम का उपहार होता है!
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                                  🌷ऊर्मिला सिंह

6 comments:

  1. वाह वाह ..बेहतरीन शब्द की व्याख्या दी !
    शब्द एक पर दिख रहे कितने सारे प्रतिबिम्ब
    हर बिम्ब से झांकता नया निराला रंग !

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  2. शब्द के विभिन्न रूप....
    क्या बात है...वाह!!!
    बहुत सुन्दर...

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  3. वाह दी सटीक,
    शब्दों की सुंदर व्याख्या ।
    निर्जीव न समझो इनको ये असर करे बहु जोर
    कभी फूल सम कोमल कभी घाव करे गंभीर ।

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  4. बहुत सुन्दर...👌👌👌

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  5. शब्दों के खेल सारे...शब्दों के जलवे न पूछो कभी तीर कभी गुलाब

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  6. ये शब्द ही तो हैं जो किसी के व्यक्तित्व को परिभाषित करते हैं...
    सूंदर रचना....
    शुभ रात्रि.....

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