पलकों के मोती....
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पलकों से मोती चुनूँ
        नैना दियो बहाय
हार गई  अँसुवन से
        कर के लाख उपाय!
  सिसक रही हैं हसरते,
          बैठी हूँ आँख चुराये
खुद  को  ढूढ  रहेे  हम
           बीत गये दिन सारे!
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                           .🌷ऊर्मिला सिंह
 
" पलकों के मोती "
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना..
क्या बात है..
शुक्रिया जी
Deleteबेहद उम्दा दी ,हार गई अंसुवन से ...।बहुत सुंदर।
ReplyDeleteस्नेहिल धन्य वाद प्रिय कुसुम
Deleteबहुत ख़ूब
ReplyDeleteधन्य वाद ऋतु जी
Deleteबहुत बहुत आभार
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